भारत में डिजिटल लेन-देन के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ साइबर
अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार ने एक नई पहल की है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को घोषणा की कि सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल्स का उपयोग करके म्यूल अकाउंट्स की पहचान करेगी और
उन्हें सक्रिय होने से पहले ही बंद कर देगी। यह कदम ऑनलाइन ठगी और मनी लॉन्ड्रिंग
को रोकने में मदद करेगा।
म्यूल अकाउंट क्या हैं?
म्यूल अकाउंट ऐसे बैंक खाते होते हैं जिनका उपयोग साइबर
अपराधी अवैध लेन-देन और धोखाधड़ी के लिए करते हैं। ये खाते किसी निर्दोष व्यक्ति
के नाम पर होते हैं, लेकिन उनका असली नियंत्रण अपराधियों के पास होता है। सरकार अब AI तकनीक की मदद से इन खातों को शुरू होने से पहले ही बंद करने की योजना बना रही
है।
साइबर सुरक्षा को लेकर सरकार की नई रणनीति
गृह मंत्री ने संसद की परामर्शदात्री समिति की बैठक में
बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने साइबर अपराध से
निपटने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि साइबर
अपराध एक “Borderless” और “Formless” खतरा है, जिससे निपटने के लिए कई विभागों को मिलकर काम
करने की जरूरत है। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय, टेलीकॉम और बैंकिंग सेक्टर के साथ मिलकर एक
मजबूत प्रणाली विकसित की जा रही है।
1930 हेल्पलाइन और Indian Cybercrime Coordination Centre (I4C) पोर्टल की भूमिका
अमित शाह ने समिति के सदस्यों से आग्रह किया कि वे I4C हेल्पलाइन नंबर 1930 को बढ़ावा दें। यह हेल्पलाइन ठगी और साइबर अपराध के मामलों में तुरंत कार्रवाई
करती है और संदिग्ध वित्तीय लेन-देन को रोकने में मदद करती है।
सरकार के अनुसार:
- I4C पोर्टल पर अब तक 1.43 लाख एफआईआर दर्ज की जा
चुकी हैं।
- 19 करोड़ से अधिक लोग इस प्लेटफॉर्म का उपयोग कर चुके हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए 805 मोबाइल ऐप और 3,266
वेबसाइट लिंक
को ब्लॉक किया गया है।
AI तकनीक से म्यूल अकाउंट की पहचान
सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य बैंकों के साथ मिलकर AI तकनीक का उपयोग करके म्यूल अकाउंट्स की पहचान करने का काम कर रही
है। इस प्रणाली से खाते धोखाधड़ी के लिए सक्रिय होने से पहले ही ब्लॉक कर दिए
जाएंगे, जिससे मनी
लॉन्ड्रिंग और साइबर ठगी को रोका जा सकेगा।
अब तक:
- 399 बैंकों और वित्तीय संस्थानों को इस अभियान में जोड़ा
गया है।
- 19 लाख से अधिक म्यूल अकाउंट्स की पहचान की गई है।
- ₹2,038 करोड़ की संदिग्ध लेन-देन पर रोक लगाई गई है।
साइबर क्राइम फॉरेंसिक और ट्रेनिंग पर जोर
सरकार ने 33 राज्यों और केंद्र शासित
प्रदेशों में साइबर क्राइम फॉरेंसिक प्रशिक्षण लैब स्थापित की हैं। इसके अलावा,
"CyTrain" प्लेटफॉर्म के माध्यम से 1 लाख से अधिक पुलिस अधिकारियों को साइबर अपराध की रोकथाम और जांच के लिए
प्रशिक्षित किया जा चुका है, जिनमें से 78,000 अधिकारियों को सर्टिफिकेट भी प्रदान किए गए हैं।
सरकार का यह नया कदम भारत को साइबर अपराध से
बचाने और डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
AI तकनीक के उपयोग से मनी लॉन्ड्रिंग और साइबर धोखाधड़ी पर रोक लगाना संभव होगा। 1930 हेल्पलाइन और I4C पोर्टल जैसी सेवाओं का अधिक से अधिक उपयोग कर नागरिक साइबर अपराध से बच सकते
हैं। साइबर सुरक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि आम जनता की जागरूकता भी इसमें महत्वपूर्ण
भूमिका निभाती है।
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