साइबर क्रा तेजी से बढ़ रहा है और इसकी वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के अनुसार, अगले साल साइबर धोखाधड़ी से भारतीयों को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने की अनुमान लगाया है। यह समस्या न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

 म्यूल बैंक खातों की भूमिका

म्यूल बैंक खाते वे खाते हैं जिनका इस्तेमाल अवैध लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता है। ये खाते ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी में अहम भूमिका निभाते हैं। I4C के अध्ययन के अनुसार, साइबर अपराधी इन खातों का इस्तेमाल ठगी गई रकम को देश से बाहर भेजने के लिए करते हैं। खास तौर पर चीन और दूसरे देशों से जुड़े अपराधी इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं।


 कैसे होती है मनी लॉन्ड्रिंग?

  • साइबर ठग कई तरह से लोगों से पैसे ठगते हैं।
  • यह पैसा म्यूल खातों में ट्रांसफर किया जाता है।
  • कई छोटे-छोटे खातों में पैसे ट्रांसफर करके इसका पता लगाना मुश्किल बना दिया जाता है।
  • अंतत: यह पैसा क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से देश से बाहर भेजा जाता है।

 

गृह मंत्रालय के साइबर अपराध पोर्टल और 1930 हेल्पलाइन के माध्यम से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय धोखाधड़ी से अकेले वर्ष 2024 की पहली छमाही में 11,269 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि समस्या कितनी विकराल होती जा रही है।

 

विश्व स्तर पर सक्रिय स्कैमर्स

सरकार द्वारा किए गए शोध से पता चला है कि दुबई, हांगकांग, बैंकॉक और रूस जैसे कई अंतरराष्ट्रीय स्थानों पर खच्चर खातों के डेबिट कार्ड का उपयोग करके एटीएम से पैसे निकाले जाते हैं। इसके अलावा, कंबोडिया, म्यांमार और लाओस में साइबर अपराधियों ने कॉल सेंटर जैसे 'घोटाला परिसर' स्थापित किए हैं, जहां से भारत में लोगों को ठगने के लिए फोन कॉल किए जाते हैं। हाल ही में अजरबैजान में भी ऐसे केंद्रों की पहचान की गई है।

 सरकार इस खतरे से निपटने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक के साथ मिलकर एक सख्त तंत्र विकसित करने पर विचार कर रही है। बैंकों को असामान्य रूप से उच्च मूल्य के लेन-देन वाले खातों की पहचान करनी चाहिए। एक ही आईपी एड्रेस से कई खातों में लॉगिन का पता लगाने के लिए बैंकिंग सिस्टम को अपडेट किया जाना चाहिए। अचानक बढ़ी हुई लेन-देन गतिविधि की पहचान की जानी चाहिए और उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए।

 


नागरिकों के लिए सावधानियां

  • अज्ञात कॉल, ईमेल और संदेशों में किसी भी लिंक पर क्लिक न करें।
  • अपनी बैंकिंग जानकारी कभी भी किसी अनजान व्यक्ति के साथ साझा न करें।
  • अज्ञात स्रोत से पैसे ट्रांसफर करने के अनुरोध को स्वीकार न करें।
  • साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत साइबर क्राइम की सूचना दें।

आज के डिजिटल युग में साइबर धोखाधड़ी एक गंभीर चुनौती बन गई है। सरकार, बैंकिंग संस्थानों और नागरिकों को मिलकर इस समस्या से निपटने के लिए सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। साइबर सुरक्षा की दिशा में उठाए गए सही कदम भविष्य में बड़े वित्तीय नुकसान को रोकने में मदद कर सकते हैं।

 

 

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